दर्शनशास्त्र

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Yuvachar Publications Booksदर्शनशास्त्र

विशेषताएँः- 1. यह पुस्तक छत्तीसगढ़ पीएससी की मुख्य परीक्षा को ध्यान में रखकर बनाई गई है। यद्यपि प्रारंभिक परीक्षा में कला और संस्कृति के धर्म और दर्शन खण्ड के लिए समान रूप से उपयोगी है। इसके अलावा इसके कुछ हिस्से निबंध के रूप में भी उपयुक्त हैं। 2. इस पुस्तक का लेखन दिल्ली आईएएस के वरिष्ठतम शिक्षक श्री सौरभ चतुर्वेदी द्वारा स्वयं किया गया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि दर्शन के इन खण्डों को एकेडमिक दृष्टिकोण की बजाय सामान्य जीवन के दृष्टिकोण से समझने का प्रयास किया जाए। इसी क्रम में अनावश्यक जटिल अवधारणाओं और जटिल शब्दों से बचने का प्रयास किया गया है। 3. इस पुस्तक में दर्शन के पाठ्यक्रम को चार खण्डों में बाँटकर प्रस्तुत किया गया है। प्रथम खण्ड - दर्शन की मूलभूत अवधारणाओं से जुड़ा है जिसके अंतर्गत: एक सामान्य परिचय, दर्शन का धर्म/संस्कृति से संबंध, भारतीय एवं पाश्चात्य दर्शन में अंतर शामिल है। दूसरे खण्ड में - भारतीय दर्शन को भारतीय चिंतकों के साथ दिया गया है जिसके अंतर्गत वेद एवं उपनिषद्, गीता दर्शन, चार्वाक दर्शन, जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन एवं षड्दर्शनों को शामिल किया गया है। भारतीय चिंतकों के अंतर्गत- कौटिल्य, गुरूनानक, गुरूघासीदास, वल्लभाचार्य, स्वामी विवेकानंद, श्री अरविन्द, महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर , दीनदयाल उपाध्याय शामिल हैं। तीसरा खण्ड में पाश्चात्य चिंतन के अंतर्गत- प्लेटो, अरस्तू, संत एन्सेल्म, देकार्त, स्पिनोजा, लाइबनित्ज़, लॉक, बर्कले, ह्यूम, कांट, हेगल, ब्रेडले, मूर का वस्तुवाद, ए.जे. एयर, जॉन डिवी, सार्त्र के विचारों को रखा गया है। जबकि चौथा खण्ड नैतिकशास्त्र का है जिसमें- धर्म दर्शन, धार्मिक सहिष्णुता, अशुभ की समस्या, नैतिक मूल्य एवं नैतिक दुविधा, शासन में नैतिक तत्त्व , लोक सेवकों हेतु आचरण संहिता, भ्रष्टाचार इत्यादि को विस्तार से प्रासंगिक तथ्यों एवं अवधारणाओं के साथ प्रस्तुत किया गया है। 4. पुस्तक के अंत में छत्तीसगढ़ मुख्य परीक्षा द्वारा पूछे गए पूर्व वर्षों के प्रश्नों को रखा गया है ताकि परीक्षा प्रारूप से परिचय हो सके। इसके अलावा अभ्यास हेतु प्रश्न आपके उत्तर लेखन के अभ्यास में सहायक होंगे।